विजया दशमी
(आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी)
यह त्योहार भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन श्री राम ने रावण को मारकर और धरती को अत्याचार से मुक्त करने के बाद अपनी विजय की यात्रा शुरू की थी। श्री राम ने लंका को जीतने के लिए नहीं मारा था, बल्कि दुष्ट शासन को समाप्त करने के लिए।
प्राचीन काल से, यह त्योहार विजय की अभियान की तैयारी का दिन था। मौसम के बादल बरसाती मौसम में सड़कें अवरुद्ध होती थीं जिससे युद्ध की तैयारी रुक जाती थी। इसलिए बारिश के मौसम के बाद शरद ऋतु में यह त्योहार मनाया जाता था। पुरानी तलवारें तेज कर दी जाती थीं। सेना को आरती दी जाती थी और यज्ञ के पश्चात् मंत्रों के जप के साथ अभियान की तैयारी शुरू होती थी।
अब यह त्योहार पहले के उद्देश्य से वंचित हो गया है क्योंकि परिवहन की समस्याएं अब नहीं हैं। फिर भी, इस त्योहार को महान उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए ताकि प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा को संरक्षित रखा जा सके और श्री राम, मर्यादा पुरुषोत्तम (सबसे आदर्श ट्रेंड सेटर) के आदर्श आचरण को स्मरण किया जा सके।
प्रक्रिया – इस दिन, समूह में सामूहिक अग्निहोत्र करें। अग्निहोत्र के बाद, श्री राम और अन्य बहादुर वीरों की गुणगान करने वाले गीत गाए जाने चाहिए। बच्चों के खेल और घोषणा प्रतियोगिताओं का आयोजन करना चाहिए। वाल्मीकि की रामायण का अध्ययन करना चाहिए।