स्वास्थ्य कामना के लिए आहुतियाँ
यदि शरीर में किसी प्रकार का रोग उत्पन्न हो गया है तो उसे प्रयत्नपूर्वक दूर करें। अग्निहोत्र की स्विष्ट्कृत् आहुति से पहले निम्नलिखित मन्त्रों से आहुतियाँ प्रदान करें। सामग्री में रोग निवारक पदार्थ मिलाये जायें।
ओ३म्। त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।। स्वाहा ।।
ऋग्वेद ७.५९.१२
भावार्थ- हे सबके रक्षक प्रभो! आप सर्वज्ञ हो, इसी कारण भूत, भविष्यत् और वर्तमान को भली-भांति जानते हो। आप ही सुगन्धि और पुष्टि को बढ़ाने वाले हो। हे प्रभो! जैसे पका हुआ फल स्वयं डण्ठल से छूट जाता है, उसी प्रकार आप हमें मृत्यु से छुड़ाकर अमृत रूपी मोक्ष प्रदान करो।
ओ३म्। तनुपा अग्नेऽसि तन्वं मे पाहि ।। स्वाहा ।।
ओ३म्। आयुर्दा अग्नेऽस्यायुर्मे देहि ।। स्वाहा ।।
ओ३म्। वर्चोदा अग्नेऽसि वर्चो मे देहि ।। स्वाहा ।।
ओ३म्। अग्ने यन्मे तन्वा ऊनं तन्म आपृण ।। स्वाहा ।।
यजुर्वेद ३.१७
भावार्थ- हे सबके रक्षक, परमेश्वर! तुम शरीर की रक्षा करने वाले हो, मेरे शरीर की रक्षा करो।
हे सबके रक्षक परमेश्वर! तुम आयु को देने वाले हो, मुझे दीर्घायु प्रदान करो।
हे सबके रक्षक परमेश्वर! तुम तेज को देने वाले हो, मुझे तेजस्वी बनाओ।
हे ज्ञान स्वरूप प्रभो! मेरे शरीर में जो-जो न्यूनतायें हैं, उनको दूर करके मेरे शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाओ।
ओ३म्। भद्रं कर्णेभि: शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवां सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायु: ।। स्वाहा ।।
यजुर्वेद २५.२१
भावार्थ- हे सबके रक्षक परमेश्वर! हम कानों से सदा उत्तम मधुर वचनों को सुनते रहें। आँखों से सदा कल्याण देखते रहें। हमारे शरीर के सभी अङ्ग सदा स्वस्थ और सुदृढ़ हों और हम पूर्ण आयु को प्राप्त करें।
इसके बाद गायत्री मन्त्र से आहुतियाँ तथा स्विष्टकृत् आहुति प्रदान करके अग्निहोत्र की सब विधि पूर्ण करें।